हिंदू पक्ष की दलीलें पूरी, पूरी,

नई दिल्ली (नि.स.)। देश के सबसे विवादित ढांचा गिराया गया था। इसके वक्फबोर्ड और गोपाल सिंह विशारद के संवेदनशील और चर्चित मामलों में बाद देश भर में दंगे भड़क गए थे। इन कानूनी उत्तारिधाकिरयों की दलीलें पूरी शामिल अयोध्या केस की सुप्रीम कोर्ट दंगों में काफ संख्या में लोग मारे गए। हो चुकी हैं। दलीलों समेत पूरे केस की में प्रतिदिन सुनवाई चल रही है। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को हिंदू पक्ष की दलीलें पूरी हो चुकी हैं। केस में अब तक जिस तरह से सुनवाई हुई है, उससे नवंबर तक इसका फैसला आने की उम्मीद काफी बढ़ गई है। जानें- सुप्रीम कोर्ट में अब गाIR तक की सुनवाई में क्या-क्या हुआ? अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट 06 अगस्त 2019 से प्रतिदिन सुनवाई कर रहा है। प्रतिदिन सुनवाई वाले मामलों के लिए सुप्रीम कोर्ट में आमतौर पर तीन दिन ही निर्धारित हैं, लेकिन अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय सोमवार से शुक्रवार तक, पांच दिन सुनवाई कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट का प्रयास है कि नवंबर तक इस केस में फैसला सुना दिया जाए। अयोध्या विवादित ढांचा गिराए जाने से पहले ही सुनवाई में कम से कम समय लगे, मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट विवादित ढांचे के मालिकाना हक की इसलिए केस की प्रतिदिन सुनवाई करने के पांच जजों की संवैधानिक बेंच में लड़ाई शुरू हो गई थी। इस मामले में से पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों चीफ जस्टिस रंजन गोगोई भी शामिल पहला मुकदमा 1951 में दर्ज हुआ था। के वकीलों को विशेष निर्देश दिए थे। हैं। चीफजस्टिस का नवंबर में रिटायरमेंट तब से जमीन के मालिकाना हक को पक्षकारों को निर्देशित किया गया था कि है। अगर बेंच ने उनके रिटायरमेंट से पहले लेकर विक्षिन्न पक्षों में विवाद चल रहा वह अपना अलग और स्पष्ट तर्क रखेंगे। फैसला नहीं सुनाया तो नए जज के है। जिला अदालत और हाईकोर्ट से होते दूसरों की बात को दोहराएंगे नहीं। सुनवाई में शामिल होने पर फिर से पूरे हुए अयोध्या केस अब सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही केस की सुनवाई शुरू करनी पड़ेगी। यही पहुंचा है। 70 वर्ष से चल रहे इस विवाद सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच में वजह है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में की सुप्रीम कोर्ट में नियमित सुनवाई के चीफजस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए प्रतिदिन सुनवाई के लिए तीन दिन की दौरान हिंदू पक्ष ने शुक्रवार को अपनी बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस व्यवस्था को खत्म कर पांच दिन सुनवाई दलीलें पूरी कर ली हैं। अब मुस्लिम अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल कर रहा है। अयोध्या में राम जन्म भूमि- पक्षकार सोमवार से सुप्रीम कोर्ट में अपनी नजीर शामिल हैं। चीफ जस्टिस रंजन बाबरी मस्जिद की 2.77 एकड़ जमीन दलीलें रखेंगे। सुप्रीम कोर्ट में अब तक गोगोई 17 नवंबर 2019 को रिटायर हो के मालिकाना हक को लेकर सुप्रीम कोर्ट हुई सुनवाई में रामलला, निर्मोही अखाड़ा, जाएंगे। माना जा रहा है कि उनके में सुनवाई चल रही है। मालूम हो कि ऑल इंडिया राम जन्मस्थान पुनरुान सेवानिवृत्त होने से पहले ही इस केस में छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में समिति, हिंदू महासभा के दो पक्ष, शिया फैसला आ जाएगा। लोगों को 70 साल फैसले की उम्मीद बढ़ी से इस केस में फैसला आने का इंतजार कि जब उनकी अपील सिविल अदालत है। सुप्रीम कोर्ट की नियमित सुनवाई का से खारिज हो गई थी तो उन्होंने दोबारा सुन्नी वक्फबोर्ड ने विरोध किया था। सुन्नी अपील क्यों नहीं की। इस पर शिया वक्फ वक्फबोर्ड की तरफसे पेश वरिष्ठ वकील बोर्ड के वकील एमसी धींगरा ने कहा कि राजीव धवन ने नियमित सुनवाई का ये तब हम डरे हुए थे। मालूम हो कि शिया कहकर विरोध किया था कि इससे सुनवाई वक्फ बोर्ड ने 2017 में सुप्रीम कोर्ट में के लिए तैयारी करने का पर्याप्त समय अपील की थी। शिया वक्फबोर्ड ने कहा नहीं मिलेगा। धवन ने सुप्रीम कोर्ट में कि मस्जिद 1855 से हमारे कब्जे में थी। कहा था कि वह अपनी दलीलों के लिए 1936 में वक्फकानून बना तो शिया और 20 दिन का समय लेंगे। हालांकि, सुप्रीम सुन्नी वक्फे की सूची बनाई गई। तब कोर्ट ने उनकी बात न मानते हुए नियमित मस्जिद हमारे कब्जे में आई थी। 1944 सुनवाई जारी रखी। अब चूंकि हिंदू में इन संपत्तियों की अधिसूचना जारी की पक्षकारों की दलीलें बहुत कम समय में गई। सुप्रीम कोर्ट में अब तक चली पूरी हो चुकी हैं तो अगर राजीव धवन सुनवाई में सबसे दिलचस्प मोड़ उस वक्त अपनी दलीलों के लिए 20 दिन का समय आया जब सुप्रीम कोर्ट ने प्रभु श्रीराम के लेते भी हैं, तो भी सुप्रीम कोर्ट के पास वंशजों के बारे में पूछा। इसके बाद से फैसला सुनाने के लिए एक महीने से कई लोग राम के वंशज होने का दावा ज्यादा समय का वक्त होगा। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश कर चुके हैं। जयपुर सुप्रीम कोर्ट ने मामले में शिया वक्फबोर्ड की राजकुमारी व भाजपा नेता दिया की दलीलें सुनी। शिया वक्फबोर्ड ने कोर्ट कुमारी ने राम का वंशज होने के को बताया कि हमने इमाम तो सुन्नी रखा ऐतिहासिक सबूत भी कोर्ट के समक्ष , लेकिन मुतवल्ली हम ही थे। मालूम हो प्रस्तुत किए हैं। इसमें ऐतिहासिक- कि शिया वक्फ बोर्ड मुख्य मुकदमे में वंशावली और अयोध्या राम जन्म भूमि पार्टी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इनसे पूछा का ऐतिहासिक नक्शा भी शामिल है।